Wednesday, September 7, 2011

dard-a-dasta

पाक से आए हिंदुओ ने सुनाई दर्द-ए-दास्तां तो छलक पड़े आंसू


Source: अमनदीप कौर
Last Updated 12:47(05/09/11)

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अटारी बॉर्डर. पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरपंथियों की प्रताड़ना से दुखी होकर साढ़े पांच सौ हिंदुओं का जत्था रविवार को अटारी सड़क मार्ग से भारत पहुंचा। ये लोग अभी एक महीने के वीजा पर भारत आए हैं, लेकिन इनमें से आधे से ज्यादा का कहना है कि वे अब वापस पाक नहीं लौटना चाहते।





अटारी सड़क मार्ग से पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं का पलायन लगातार जारी है। प्रताड़ना और जानमाल की सुरक्षा की गारंटी न होने के कारण ये भारत का रुख कर रहे हैं। भारत पहुंचे जत्थे की अगुवाई कर रहे मनोहर लाल ने बताया कि वे श्री अमृतसर साहिब, नांदेड़ साहिब, दिल्ली, इंदौर, मुंबई आदि में धर्म स्थलों के दर्शन करेंगे। साथ ही रिश्तेदारों से मुलाकात करेंगे। अहम बात यह है कि इनमें से ज्यादातर लोग यहीं बसने की चाहत लेकर आए हैं।






सुरक्षा सुनिश्चित कराएं
जत्थे के सदस्यों का कहना है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदू, सिखों व सिंधियों के लिए रहना मुश्किल हो गया है। न तो उनकी जान-माल की सुरक्षा है और न ही उनके बच्चों का कोई भविष्य। लोगों ने भारत सरकार से मांग की है कि वह पाकिस्तान सरकार से बातकर वहां रहने वाले हिंदुओं, सिखों व सिंधियों की सुरक्षा सुनिश्चित करवाए या फिर उन्हें यहीं बसने की इजाजत दे। वरना उनका उत्पीड़न होता रहेगा। वे घुट-घुट कर ही जीते रहेंगे।





दास्तां कही तो छलक पड़े आंसू
बेटियों से जबरन निकाहः
पाक से आए मनोहरलाल ने नम आंखों से बताया कि वहां कुछ लोग हिंदुओं की बेटियों का जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराते हैं। वे बेटियों को अगवाकर धर्म परिवर्तन के लिए मजूबर करते हैं और फिर निकाह कर लेते हैं। इसी डर से हमने भारत आने का फैसला किया है।




अपहरण कर मांगते हैं फिरौतीः
जत्थे में शामिल हेमचंद ने बताया कि पाक में हिंदुओं और सिखों का अपहरण कर लिया जाता है और फिर बड़ी फिरौती मांगी जाती है। पिछले माह एक सिख व्यापारी का तालिबान समर्थित एक संगठन ने अपहरण कर लिया था। भारी-भरकम फिरौती चुकाने पर ही उसे छोडा़ गया।





भारत में भी जगह नहीं
प्रताड़ना का शिकार अन्य लोगों का कहना था कि हम जैसे-तैसे वीजा लेकर भारत आते हैं। हममे से अधिकतर वापस नहीं लौटना चाहते, लेकिन कानून हमें यहां टिकने नहीं देता। सुरक्षाबल हमें वापस भेज देते हैं। हम चीखते हैं, चिल्लाते हैं कि हमें वापस मत भेजो, पर हमारी सुनने वाला कोई नहीं।













1 comment:

  1. भैयादूज पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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